डांडिआ के संग झूमता संसार
कहीं गूंजती डांडिआ संग ढोल-बाजों की झनझनाती झंकार
तो कहीं गरबा सजाके झूमते युवा नर नारी फैलते गोलाकार
कहीं सजती रास लीला व स्टेज पे गाते थिरकते विभिन्न कलाकार
कहीं लहराते -मटकते नर- नारी , ध्वनित होती डांडिआ की टंकार
गुजरात हो या हो राजस्थान सभी जगहों पे फैलती ईश्वरी जय जयकार
सुरीले स्वरों ,बजते वाद्य यंत्रों संग, चहुँओर फैलती उत्सव की नव बहार
तन्मय होकर नाचते युवक युवतियां ,परवान चढ़ती गीतों की रफ़्तार
फ़िल्मी गीतों की मस्त धुनों में खो जाते गरबा के नव किरदार
आनंदित हो जाता वातावरण दिव्यता का ,सुखद लहरें उठतीं बारम्बार
रंगबिरंगी रोशनी व पोशाकों संग ,सृजित होता डांडिआ का झूमता संसार
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