जितना मिला है उसे सम्भालो
जीवन की आपा धापी में ,लोगों की बढ़ती ख्वाइशों में
कुछ लोग बिना जरूरत चीज़ों के लिए दौड़ पड़े हैं
घड़ी हो या कंप्यूटर ,आई पैड हो या हो मोबाइल
कार हो या हो मकान , या हों हवाई सफर
कुछ को इनकी आवश्यकता है तो कुछ को अनावश्यक खरीदने का शौक
कुछ लोगोँ को इन्हें सम्भालना भी नहीं आता कुछ खरीदने को बेताब
जीवन की आवश्यकताओं में और भी हैं जरूरी काम
जीवन में संतुलन आवश्यक है आमदनी और पैसा रहना भी
उतनी ही चादर फैलाओ जितनी समेटने की छमता हो
एक मकान सम्भालना आज मुश्किल है क्यों और लेकर अशांति बुलाओ
उड़ो भी उतना जो अपने को संभाल पाओ
अधिक हवस के चक्कर में अशांति मत बुलाओ
जीवन में जो कुछ मिला है संतोष से उसे सँभालते जाओ
अनावश्यक के चक्कर में, मिली हुई शांति मत गँवाओ
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