Sunday, 5 October 2014

कभी हंसती कभी खेलती जिंदगी

  कभी हंसती कभी खेलती जिंदगी 

हर दिन आँख मिचौली खेलती सबकी जिंदगी 
  कभी ऊपर और कभी  नीचे ले जाती  सबको जिंदगी 

कभी आसमान में उड़ी  तो कभी झोली फैलाती जिंदगी 
जिंदगी की राह  में कभी हंस ली तो कभी रो ली जिंदगी 

कभी उपरवाले से प्रार्थना करती तो कभी गिड़गिड़ाती जिंदगी 
कभी अपनी गलतियां न स्वीकार कर ,बेवजह व्याकुलता फैलाती जिंदगी 

कभी मुस्कराती  कभी संशय में जीवन बिताती जिंदगी 
कभी स्वाभिमान लाती तो कभी व्यतिथ हो जाती जिंदगी 

जिंदादिल और साहसियों ने ही  सर उठाकर जी है जिंदगी 
जिन्होंने हँसते खेलते कष्ट उठाये उन्होंने ही जी है अच्छी जिंदगी  

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