जीवन के अनुभव
समय से पहले और किस्मत से ज्यादा किसी को नहीं मिलता है
किन्तु अथक प्रयास और प्रयत्न करने पर संतोष जरूर मिलता है
लाख बुरा चाहने पर भी ईश्वर कृपा होने पर बुरा नहीं होता है
पर बुरा चाहने वाले का मन तो अवश्य मलिन जरूर होता है
असंतोष और व्याकुलता से कार्य पूर्ण होने पर भी आत्म संतोष नहीं होता है
धैर्य और विश्वाश से कार्य सम्पन्न होने पर उपलब्धि में शांति भी साथ होती है
जीवन में संतोष ही मनुष्य का सबसे बड़ा धन है
पर इन्द्रियों पर नियंत्रण उससे अधिक मूल्यवान है
वस्तु संग्रह से इंसान की लिप्सा कभी कम नहीं होती है
पर ज्ञान के संग्रह से मानसिक पूर्ति अवश्य ही होती है
समय से पहले और किस्मत से ज्यादा किसी को नहीं मिलता है
किन्तु अथक प्रयास और प्रयत्न करने पर संतोष जरूर मिलता है
लाख बुरा चाहने पर भी ईश्वर कृपा होने पर बुरा नहीं होता है
पर बुरा चाहने वाले का मन तो अवश्य मलिन जरूर होता है
असंतोष और व्याकुलता से कार्य पूर्ण होने पर भी आत्म संतोष नहीं होता है
धैर्य और विश्वाश से कार्य सम्पन्न होने पर उपलब्धि में शांति भी साथ होती है
जीवन में संतोष ही मनुष्य का सबसे बड़ा धन है
पर इन्द्रियों पर नियंत्रण उससे अधिक मूल्यवान है
वस्तु संग्रह से इंसान की लिप्सा कभी कम नहीं होती है
पर ज्ञान के संग्रह से मानसिक पूर्ति अवश्य ही होती है
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