Friday, 23 January 2015

Guru Vachan -


Aashiravd Vachan guru ke
दुखियारे दुःख मुक्त हों ,भय त्यागें भयभीत
बैर छोड़कर लोग सभी ,करें परस्पर प्रीत।

द्वेष और दुर्भाव का रहे न नामो निशान
स्नेह और सद्भाव से ,भर जायें तन मन प्राण

दूर रहे दुर्भावना ,द्वेष रहे सब दूर
निर्मल निर्मल चित्त हों ,प्यार भरे भरपूर

दुखी देख करुणा जगे ,सुखी देख मन मोद
मंगल मैत्री यूँ जगे ,अंतस ओत परोत

मन मानस ही प्यार में ,उर्मिल उर्मिल होए
रोम रोम ये ध्वनि उठे ,सबका मंगल होए

मैत्री जगे बलवती ,लहर लहर लहराए
फूटे झरना प्यार का ,तन मन मंगल छाए

सुख छावे संसार में ,दुखी रहे न कोये
जल का ,थल का गगन का हर प्राणी सुखिया होये

सुख छावे संसार में ,दुखी रहे न कोये
जल का ,थल का ,गगन का हर प्राणी सुखिया होए